Posted by admin on 2024-03-04 16:53:13 |
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24 फरवरी 2024 को राजपूत धर्मशाला करनाल मै क्षत्रिय महासंघ भारत की हरियाणा राज्य इकाई का कार्यक्रम था यह कार्यक्रम अत्यंत सफलता के साथ सम्पन्न हुआ इस आयोजन मै हरियाणा राज्य के अध्यक्ष श्री तेजपाल जी राणा और उनके सहयोगी बधाई के पात्र है.कार्यक्रम की व्यवस्था और संचालन सराहनीय रही. इसमें रास्ट्रीय अध्यक्ष श्री सुरेश सिंह परमार जी राष्ट्रीय महासचिव श्री महेश पाल जी जादौन जी सपरिवार. श्री ए. के. सिंह. श्री मती गायित्री सिंह (अध्यक्ष महिला मोर्चा )की उल्लेखनीय उपस्थिति और सहभागिता रही.
श्री तेजपाल जी राणा के आग्रह पर उनके ग्रहग्राम और पूज्य पिता जी के दर्शन का लाभ मिला.
करनाल से कुरुक्षेत्र के बीच के क्षेत्र को देख कर निष्कर्ष निकाला जा सकता है इस क्षेत्र मै क्षत्रिय राजपूत संख्या कम होते हुए भी सामाजिक रुप मै अत्यंत सक्रिय और प्रगतिशील है आर्थिक रुप मै तेजी से विकास हो रहा है और आर्थिक शक्ति भविष्य का आधार बनेगी यही आशा है. यहाँ के क्षत्रिय राजपूत आर्थिक.सामाजिक और शिक्षा के क्षेत्र मै अग्रसर है और अनेक उपलब्धियां प्राप्त कर रहे है भारत के अन्य क्षेत्रो मै इनका अनुसरण करना चाहिए.
दिनांक 25फरवरी 2024को कुरुक्षेत्र और आसपास के क्षेत्र को देखने का रहा.
इस क्षेत्र को देखने के बाद पिछले भारत के इतिहास को समझने का प्रयास हुआ.
कुरुक्षेत्र महाभारत मै वर्णित युद्ध क्षेत्र है अभी तक इसे पौराणिक युद्ध माना जाता था लेकिन कुछ वर्षो मै ऐसे पुरातत्विक प्रमाण मिले है जिससे इसे अब ऐतिहासिक घटना मानना प्रारम्भ हो गया है.क्षेत्र के विकास मै धार्मिक स्थानों का पर्याप्त विकास और सुंदरीकरण का कार्य हुए है. अमृत सरोवर./ब्रह्म सरोवर का उल्लेख महाभारत और बामन पुराण मै मिलता है वंहा पर प्राचीन काल का कुआँ है जिसमे प्राचीन सरंचना के अवशेष विद्यमान है इसे कुंती कूप कहा जाता है वंहा की प्राचीन ईटे ऐतिहासिक महत्त्व को दर्शाती है.
कुरुक्षेत्र की भौगोलिक स्थिति भारत के इतिहास और धर्म मै बहुत महत्वपूर्ण है.
कुरुक्षेत्र से करनाल की और चलने पर तारावड़ी गांव मिलता है इस गांव की भूमि पर भी तीन युद्ध की जानकारी मिलती है
1.तराइन का पहला युद्ध 1191 मै मुहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ था इस युद्ध मै पृथ्वीराज चौहान की जीत हुई थी.
2. ताराइन का दूसरा युद्ध 1192मै मुहम्मद गौरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच हुआ. पृथ्वीराज चौहान की हार से भारत के ज्यादातर हिस्सों पर तुर्की मुस्लिम समूह का शासन स्थापित हुआ.
3 ताराइन का तीसरा युद्ध जनवरी 1216को गुलाम वंश के शासक इलतुत्मिस और गजनी के सुल्तान के बीच हुआ और जीत कर इलतुत्मिस भारत की सत्ता पर मजबूत हो गया.
पानीपत...
पानीपत महाभारत काल का गांव माना जाता है और उन पाँच गावों मै गिनती होती है जिन्हे पांडव पुत्रो ने दुर्योधन से माँगा था. यहाँ भी तीन बडे युद्धओ की जानकारी मिलती है जो भारत के इतिहास के महत्वपूर्ण युद्ध है
1. पानीपत का प्रथम युद्ध.21अप्रेल 1526 का युद्ध बाबर और इब्राहिम लोधी की सेनाओ के वीच हुआ था बारूद का उपयोग इससे पूर्व मिलता है लेकिन तोपखाना और बन्दुको का उपयोग बाबर द्वारा किया गया जिससे भारत मै लोधी वंश का अंत हो गया और मुग़ल साम्राज्य स्थापित हुआ.
2. पानीपत का दूसरा युद्ध 5नवम्बर 1556को सेनापति हेमू और मुग़ल सेना के बीच हुआ इस युद्ध मै मुग़ल सेना की विजय से अकबर को दिल्ली की सत्ता प्राप्त हुई और मुग़ल साम्राज्य पुनः स्थापना हुई.
3. पानीपत का तीसरा युद्ध 10जनवरी 1760को अहमद शाह अब्दाली और मराठा सेना के बीच हुआ. इस युद्ध मै मराठा सेनापति दत्ता जी की मृत्यु हुई और मराठा सेना पराजित हो गई यद्यपि इस युद्ध से मराठा कमजोर अवश्य हुए परन्तु अपनी ताकत को बाद मै पुनः प्राप्त कर लिया था.
इस क्षेत्र का इतिहास और अवस्थिति को देख कर हमें भविष्य मै भी इस और विशेष सावधानी की जरुरत है कि कोई विदेशी ताकत अपने निहित स्वार्थ के लिए कभी यहाँ की जनता को दिग्भ्रमित ना कर सके.
By :- Dc. Brij Bhushan Singh Sengar